जिसने रचा जग सारा, वही है सत्य हमारा,
ब्रह्मा जी के चरणों में, जीवन का सहारा।
ना आदि का पता, ना अंत की बात,
ब्रह्मा जी के ध्यान में है सृष्टि की सौगात ।
चार वेद, चार दिशाएं, चार मुख जिनके पास,
ब्रह्मा जी से ही शुरू हुआ, सृष्टि का हर उल्लास ।
ज्ञान की गंगा है बहती, जहाँ ब्रह्मा का नाम,
हर जीव में बसता है उनका पावन परम धाम ।
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